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Paraswimmer Vishwas gets justice: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को सुनाई सख्त फटकार

On: October 30, 2025 3:13 PM
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Paraswimmer Vishwas: जब कोई इंसान दोनों हाथ खो दे, तब उसका जीवन एक संघर्ष बन जाता है। लेकिन जब वही इंसान पानी में उतरकर देश के लिए पदक जीत लाता है, तो उसकी कहानी प्रेरणा बन जाती है। ऐसा ही एक नाम है विश्वास के.एस., जिनकी लगन, मेहनत और साहस ने उन्हें न सिर्फ एक सफल पैरास्विमर बनाया, बल्कि करोड़ों दिलों में जगह दी। लेकिन अफसोस की बात ये रही कि सरकार ने उनके अधिकारों को समय पर नहीं दिया, जिस कारण उन्हें कोर्ट का रुख करना पड़ा।

न्यायमूर्ति ने दिया भावनात्मक फैसला

Paraswimmer Vishwas gets justice: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को सुनाई सख्त फटकार

कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने इस मामले में जिस संवेदनशीलता और न्यायप्रियता से फैसला सुनाया, वह दिल छू लेने वाला है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि हर खेल और हर खिलाड़ी की मेहनत समान होती है। यह बेहद दुखद है कि सरकार केवल कुछ खेलों को महत्व देती है और बाकी खिलाड़ियों को नज़रअंदाज़ कर देती है।

सरकार की दलीलें हुईं अस्वीकार

सरकार ने यह कहकर बचाव किया कि विश्वास को पहले ही ₹4.64 लाख की राशि दी जा चुकी है और बाकी की राशि का वह हकदार नहीं है। साथ ही यह तर्क भी दिया गया कि जिस संस्था से उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लिया था, वह उस समय निलंबित थी। लेकिन कोर्ट ने इन सभी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि पुरस्कार किसी संस्था के आधार पर नहीं बल्कि खिलाड़ी की उपलब्धियों के आधार पर दिया जाता है।

कोर्ट ने दिया आदेश: व्यक्तिगत जेब से भरें हर्जाना

कोर्ट ने न सिर्फ ₹1,26,000 की बकाया राशि दो हफ्तों में देने का आदेश दिया, बल्कि संबंधित अधिकारियों पर ₹2,00,000 का जुर्माना भी लगाया और वह भी राज्य के खजाने से नहीं, बल्कि उन अधिकारियों की व्यक्तिगत जेब से। यह एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, क्योंकि आमतौर पर जुर्माने की राशि सरकारी खजाने से दी जाती है। लेकिन यहां कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि यह लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

देरी पर लगेगा जुर्माना

अगर सरकार आदेश मिलने के दो हफ्ते के अंदर ₹1,26,000 की राशि नहीं देती है, तो हर दिन ₹1,000 का अतिरिक्त जुर्माना विश्वास को दिया जाएगा। यह निर्णय एक स्पष्ट संकेत है कि कोर्ट अब “न्याय में देरी” को भी “अन्याय” की श्रेणी में रखता है।

खिलाड़ियों के सम्मान में कोई समझौता नहीं

Paraswimmer Vishwas gets justice: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को सुनाई सख्त फटकार

इस पूरे फैसले में सबसे अहम बात यह रही कि कोर्ट ने खिलाड़ियों के सम्मान की बात की। न्यायमूर्ति ने कहा कि किसी विकलांग खिलाड़ी को समय पर प्रोत्साहन न देना न सिर्फ अन्याय है, बल्कि यह उसकी गरिमा का अपमान भी है। ऐसे फैसले आने वाले समय में बाकी अधिकारियों के लिए चेतावनी साबित होंगे।

Disclaimer: यह लेख केवल सूचना देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध समाचार रिपोर्ट्स व स्रोतों पर आधारित है। किसी भी प्रकार की सरकारी नीति या कानूनी राय के लिए संबंधित विभाग या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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